सुन रे पिया! तेरे नाम की मेहंदी सजाई मैंने अपने हाथों में। सुन रे पिया! तेरे नाम की मेहंदी सजाई मैंने अपने हाथों में।
बरसे गगन से बारिश की झड़ी पर कुँवारे दो तन में कुछ आग सी लगी है। बरसे गगन से बारिश की झड़ी पर कुँवारे दो तन में कुछ आग सी लगी है।
लिपटी रहूँ पिया संग कैसे देह का चंदन घिसूँ, लिपटी रहूँ पिया संग कैसे देह का चंदन घिसूँ,
शर-शर करती भाग रही हूँ, शहर-गाँव मै लाँघ रही हूँ शर-शर करती भाग रही हूँ, शहर-गाँव मै लाँघ रही हूँ
मैं आज भी कैसे पराई हूँ मैं आज भी कैसे पराई हूँ
ये भी पिया का घर कहलाई ये भी पिया का घर कहलाई